राम मंदिर में मिलेगा भगवान के पुराने सिंहासन का दर्शन

मंदिर में संरक्षित होंगी टेंट समेत कई दुर्लभ वस्तुएं

अयोध्या। श्रीराम मंदिर में भगवान से जुड़ीं कुछ दुर्लभ वस्तुएं भी संरक्षित की जाएंगी। इनमें वर्ष 1949 में श्रीरामलला के प्राकट्य के समय का सिंहासन सवसे महत्व का है । यह सिंहासन श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है। इसे यादगार के रूप में रामभक्तों के दर्शन के लिए श्रीराम मंदिर में संरक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही टेंट में विराजमान रहे रामलला की छाया के लिए लगा टेंट और नव्य-भव्य-दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने से पहले विराजने वाले मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर को भी स्मृतियों के झरोखे में सहेजकर रखा जाएगा ।

श्रीराम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में ऐसे कई अहम मसलों पर गंभीर चिंतन-मंथन चला। भवन निर्माण समिति की तीसरे दिन की वैठक सर्किट हाउस में हुई। इस वीच श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन व रिटायर्ड आईएएस अफसर नृपेंद्र मिश्र ने वताया कि अभी यह विचार होना वाकी है कि मंदिर के प्रथम तल पर लगने वाले दरवाजों पर सोने की परत चढ़ायी जाएगी अथवा नहीं।

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उन्होंने माना कि मुख्य चुनौती परकोटा से राम मंदिर को एक लिफ्ट और व्रिज के जरिये जोड़ने को लेकर है। मंदिर के पश्चिम दिशा में लिफ्ट और व्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। अस्थाई मंदिर पर भी श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था वनाने संबंधी निर्णय लिया जा चुका है। दरअसल, इससे पहले भगवान जहां विराजमान होकर दर्शन दे रहे थे, वह स्थल ऊंचाई पर है। ऐसे में उसकी ऊंचाई कम करनी पड़ेगी । अस्थाई मंदिर लकड़ी का वना है। उसकी मजबूती को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया। पहले भगवान जिस टेंट में थे, वह टेंट ट्रस्ट के पास सुरक्षित है। उसको यादगार के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा।

मंदिर के शिखर पर दो आधुनिक लगायी गयी हैं। इनमें एक एविएशन सिग्नल है, जो हवाई जहाज के लिए संकेतक के तौर पर काम करेगा तो दूसरा आकाशीय विजली से राम मंदिर को सुरक्षित करने के लिए अरेस्टर के रूप में लगी है। इसमें ऐसी क्षमता है कि विजली को सीधे जमीन में उतारेगी ताकि आकाशीय विजली से राम मंदिर को कोई नुकसान न पहुंचे। वैसे, मंदिर निमार्ण का ज्यादातर कार्य पूरा हो चुका है। शिखर पर लगे ध्वज दंड पर अगले तीन-चार महीने में श्रीरामनामी धर्म पताका फहरा दी जाएगी ।

उससे पहले शिखर का जो कुछ भी वचा कार्य है, वह अगले महीने के आखिर तक पूरा कर लिया जाना है । श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य अव अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है। इसको लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट और उसके अधीन निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभाल रही भवन निर्माण समिति ने एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी व राजकीय निर्माण निगम के विशेषज्ञों के वीच समन्वय बढ़ाकर कार्यों की गुणात्मकता परखने में तेजी लायी है।

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